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Wednesday 31 May 2023

मानव शरीर के सात रूप

 धार्मिक दर्शनों में, मानव शरीर के सात रूप होने का विचार पाया जाता है। इन सात रूपों के वर्णन में विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विचारधाराएं होती हैं। यह सात रूप हैं:

1. शरीर: शरीर आपकी भौतिक वस्तु होती है जो आपकी पहचान के रूप में काम करती है। यह आपके साथ जन्म से लेकर मृत्यु तक होती है।

2. मन: मन आपकी चेतना, विचार और भावनाओं का एक संग्रह है। यह आपके अंतर्दृष्टि का भी एक भाग होता है।

3. आत्मा: आत्मा आपका आत्मतत्व या अस्तित्व होता है, जो शरीर और मन से अलग होता है। यह अद्वितीय होता है और अमर होता है।

4. जीव: जीव आपकी जीवन शक्ति होती है, जो आत्मा के साथ जुड़ी होती है। यह आपके शरीर में प्रवेश करता है और शरीर को जीवित रखता है।

5. बुद्धि : बुद्धि वह रूप है जो व्यक्ति को सोचने, निर्णय लेने और विचार करने की शक्ति प्रदान करता है।

6. चित्त : चित्त व्यक्ति की जागरूकता और उसके अनुभव को नियंत्रित करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने आसपास के वातावरण को संवेदनशीलता से अनुभव करता है और इससे उसका व्यवहार निर्धारित होता है। चित्त उसके अंतर्दृष्टि को नियंत्रित करता है और उसे समस्याओं के समाधान के लिए उत्तेजित करता है।

7.अहंकार: अहंकार व्यक्ति के अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ होता है। यह उसकी व्यक्तिगत पहचान को निर्धारित करता है और उसे उसके स्वभाव और गुणों के आधार पर समझाता है। अहंकार उसकी व्यवहार की सीमाएं निर्धारित करता है और उसे अन्य व्यक्तियों से अलग करता है।

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