Translate

Thursday 7 August 2014

पृथ्वी से बैकुंठ की दूरी 12 लाख योजन


आज के तीव्र गति वाले वैज्ञानिक युग में भले ही स्वर्ग या बैकुंठ को कपोल कल्पना समझा जाय पर शताब्दियों से भारतीय मन और मनीषा में बैकुंठ की अवधारणा पर अटूट विश्वास है । हाल ही में मिली 400 वर्षीय प्राचीन और दुर्लभ पांडुलिपि ब्रह्मांड पुराण की मानें तो पृथ्वी से बैकुंठ की दूरी 12 लाख योजन है ।

रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर एवं उड़ीसा राज्य से जुड़े ग्राम सरिया के 83 वर्षीय ज्योतिषाचार्य हरिबंधू महापात्र ने जिला प्रशासन के पुरातत्व समिति को हस्तलिखित ब्रहांड पुराण सौंपा है जिसे लगभग 400 वर्ष प्राचीन माना गया है । यह पांडुलिपि कागज़ में नहीं बल्कि ताड़पत्र में है जो उड़िया भाषा में लिखित है । ताड़ वृक्ष के पत्तों में बड़े ही सुंदर ढंग से पुस्तक की तरह निर्मित यह पांडुलिपि 244 पृष्ठों का है । इस ग्रंथ के अनुसार पृथ्वी से बैकुंठ की दूरी 12 लाख योजन है । इतना ही नहीं, ज्योतिष केंद्रित इस दुर्लभ पांडुलिपि में उड़िया भाषा में यह भी लिखा हुआ है कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी 1 लाख योजन, चंद्रमा की 2 लाख योजन, तारागण की 3 लाख योजन, ध्रुवतारा 4 लाख योजन, यम का घर 5लाख योजन, इंद्रदेव का घर 6 लाख योजन पर स्थित है । दूरी की पारंपरिक इकाई के अनुसार एक योजन को 12 कोस माना जाता है । श्री हरिबंधू महापात्र बताते हैं कि यह पांडुलिपि उनके दादा परदादा के ज़माने से है जिसे वे भी अब तक बड़े जतन से संभाल कर रखे हुए थे, उनके अनुसार इस पांडुलिपि की सहायता से जब भी कुछ ज्योतिषीय भविष्यवाणी की है सब कुछ सही साबित हुईं हैं । वे इसे विज्ञान सम्मत ज्ञान मानते हैं । इन सिद्धियों पर विश्वास करें तो निश्चय ही कहा जा सकता है कि भारतीय विद्वानों को ब्रह्मांड भूगोल की सम्यक ज्ञान हजारों वर्षों पहले से ही था ।

पॄथ्वी की लम्बाई हेतु सर्वाधिक प्रयोगित इकाई है योजन।धार्मिक विद्वान भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा योजन की लम्बाई को 8 मील (13 कि.मी.) बताया गया है.[1] उनके पौराणिक अनुवादों में सभी स्थानों पर. अधिकां भारतीय विद्वान इसका माप 13 कि.मी. से 16 कि.मी. (8-10 मील) के लगभग बताते हैं.

No comments:

Post a Comment