Translate

Friday 8 August 2014

ये एक गेहूं का दाना है पांडवों की निशानी, वजन करीब 150 ग्राम


महाभारत के काल का इतिहास करीब 5000 हजार साल पुराना हो चुका है। उस समय द्वापर युग चल रहा था और अब कलियुग चल रहा है। पांडवों के बाद से ही कलियुग प्रारंभ हो गया था। उस काल से जुड़ी कई निशानियां अलग-अलग शोधों में देश के कई हिस्सों में मिली हैं। जब पांडवों का अज्ञातवास चल रहा था, तब वे शिमला क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश) में करसोग घाटी के ममेल गांव में ठहरे थे। ऐसा माना जाता है कि उस काल का एक गेहूं का दाना आज भी यहां स्थित ममलेश्वर महादेव मंदिर में रखा हुआ है। इस गेहूं के दाने का वजन करीब 150 ग्राम है।

यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार इसी मंदिर में पांच पांडवों के पांच शिवलिंग भी स्थापित हैं। इन पांचों शिवलिंगों का पूजन करने पर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से एक लोटा जल भी इन शिवलिंगों पर अर्पित करता है तो उसे शिवजी की कृपा प्राप्त होती है और दुखों से मुक्ति मिलती है। इस क्षेत्र में एक प्राचीन ढोल भी है। इस ढोल के संबंध में ऐसा माना जाता है कि यह भीम का ढोल का है।




प्राचीन ढोल। इस ढोल के संबंध में ऐसा माना जाता है कि यह भीम का ढोल का है।
कहां है करसोग नगर
हिमाचल प्रदेश के शिमला के करीब ही स्थित है करसोग नगर। यहां पहुंचने के लिए शिमला से आवागमन के कई साधन उपलब्ध हो जाते हैं। करसोग पर्वतों और यहां के प्राकृतिक वातावरण के कारण भी प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में ममलेश्वर महादेव, कामाक्षा माता मंदिर, मांहुनाग मंदिर, धमूनी नाग मंदिर, देव दवाडी मंदिर दवाहड, अर्द्धनारीश्वर मंदिर आदि प्रसिद्ध स्थान हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।


पांच पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग।


 ममलेश्वर महादेव मंदिर








No comments:

Post a Comment